Sunday 23 July 2017



मगही में "ङ", "ड़" आउ "र्" के प्रयोग।

हिंदी में वर्तनी के एकरूपता के नाम पर "ङ" वर्ण के प्रयोग लगभग उठ रहले हे, खास करके कंप्यूटर टेक्नोलॉजी अयला के बाद। सिर्फ संस्कृत बैकग्राउंड वला लोग संस्कृतनिष्ठ शब्द में एकर प्रयोग करऽ हथिन। काहे कि अखबार के दुनियाँ में जादे तर एकर जगह पर अनुस्वार (ं) के प्रयोग होवऽ है। संस्कृत में एकर कठोरता से पालन होवऽ है। जइसे - "कलिङ्ग", "गङ्गा", बङ्ग आउ जइसन शब्द में धड़ल्ले से होवऽ है।
इहे तरह मगही जइसन लोकभाषा में भी एकर प्रयोग बिना सैंकड़ो शब्द के उच्चारण ठीक से नञ् हो पइतइ। मगही साहित्य के फोनोलॉजी के थोड़े सा ज्ञान रखे वला के नीचे जउन शब्दन के चरचा कर रहलिए हे ओकरा बारे में कोय उफास नञ् लगतइ। एहाँ ई बात जरूरी समझऽ हिऐ कि मैथिली एकर प्रयोग धड़ल्ले से होवऽ है। जइसे - "अङना" (सं.) = आंगन , अङाएब (क्रि.) = ; अङिया (सं.) = कंचुकी; चोली; अङुरी (सं.) = अंगुली; अङेजब (क्रि.) = सामंजस्य स्थापित करना; अङैठीमोड़ (सं.) = ज्वर का आगमन; अङोछ (सं.) = छवि। ॰ मैथिली शब्द कल्पद्रुम. संपादकः पं. मतिनाथ मिश्र "मतंग" (पृष्ठ-7) ॰ कल्यानी कोश . संपादकः पं. गोविंद झा (पृष्ठ-7); ॰ बृहत् मैथिली कोश . संपादकः श्री जयकांत मिश्र (खंड-1, पृष्ठ-30)

 "ङ", "ङ्"

अछरङ
अङनबाड़ी
अङना
अङनैतिन
अङनैती
अङरेज
अङरेजी
अङाना
अङाल
अङुठा
अङुरकट्टा
अङुरलग्गा
अङुरी
अङेजना
अङेया
अङैठी
अङोछना
अवढङहिया
अवढङाह
अवढङाहा
अवढङाही
आङी-टोपी
आङे
इङरउटी
इड़िङ-विड़िङ
उटपटाङ
उङरी
ओठङघन
ओठङघल
ओठङन
ओठङना
ओठङल
खड़ङाह
खड़ङाहा
खड़ङाही
गङउट
गङतिरिया
गङौट
गोङ
गोङा
गोङिअहवा
गोङिअहिया
गोङिआह
गोङिआहा
गोङिआही
गोङी
घोङघच
घोङघचना
घोङघचल
घोङची
घोङघचाना
घोङघच्चा
चङेरी
चाङड़
चाङड़ा
चिङुरना
चिङुरल
चेङना (सं.)
चेङा
चेङी
चौरङ
जङला
जङलिया
जङली
झरङा
टङना (सं.)
टङना (अ.क्रि.)
टङनी
टङरी
टङल
टङाना
टङारी
टाङ
टाङना (स.क्रि)
टाङी
टिङना
टुङना (सं.)
टुङना (स.क्रि)
टुङल (वि.)
टुङाना (स.क्रि)
टेङरा
टेङारी
ठेङा
ठोङा
ठोङ्घा
डङाल
डाङ
डेङाना
डेङी
ढङ
ढेङराना
ढेङार
ढोङ
ढोङी
ढोर-डाङर
डेङाना
डेङी
डेङौनी
तिड़ङ्
तिड़ङाह
तिड़ङाहा
तिड़ङाही
तिड़ङ्ल
दङलिया
दङली
धड़ाङ्
धड़िङ्
धरङा
धङाना
धाङना
धाङल
परङा
पाङना
पुङना
बरङाही
भङघोटना
भङघोटनी
भङपीवा
भङरइया
भङलहवा
भङलहिया
भङलाह
भङलाहा
भङलाही
भङेड़ी
मुङड़ा
मुङड़ी आदि

   " ड़"

ड़ँड़सार
ड़ड़घौंज
ड़ड़तउरी
ड़ड़तौरी
ड़ड़पनई
ड़ड़पना
ड़ड़पनी
ड़ड़पाना
ड़ड़हा
ड़ड़िनियाँ
ड़हड़ी
ड़ाँड़
ड़ाँड़ी
ड़ाड़
ड़ाड़ीन
ड़ेंड़
ड़ेंड़ी
ड़ोड़ा
ड़ोड़ा-ड़ोड़ी
ड़ोड़बाजी
ड़ोड़ेबाजी
ड़ोड़िआना
ड़ोड़ी

मगही में "र् +ह = र्ह " के प्रयोग।

एर्ह
एर्हना
एर्हनी
खेर्ह
बर्हामन
बर्हामनी
बिर्हनी
मेर्ह

Saturday 22 July 2017




जाति संबंधित कहावत (कहउतिया/ परतुक)



(हियाँ जाति संबंधी कहावत देके हमर उद्देश्य किनखो मजाक उड़ाना या छोटा देखाना नञ् है। हम तो बस मगह के लोग के बीच प्रचलित कहावत के उद्धृत कर रहिलए हे, जे सैंकड़ो साल से मगह के लोग के बीच प्रचलित है। हमर ताल्लुक जउन जाति से है, ओकरो ऊपर कते कहावत है, जेकरा सुन के हमर जाति के लोग तिलमिला जइथिन।)



जाति नाम गंगा।


कलबार (कलाल; शराब बेचे के काम करे वला जात)
कलबार के बेटा भूख मरे त लोग कहे मतबाला।
कलबार के बेटा भूख मरे त लोग कहे कि दारू पी के टग्गऽ हे।
कलाल के बेटा टन मारे, लोग कहे कि पी के टगऽ हे।
कसइया (कसाई)
कसइया के सरापला से कहूँ गाय मरऽ हे।
कहार
करे कहार नाचे चमार, कोइरी देखे बाभन लेखे।
कानू
साव साव तीन साव- सूढ़ी साव, तेली साव आ लात-जुत्ता के कानू साव।
कायथ (कायस्थ)
कायथ कउआ रोर, जाति जात बटोर।
कायथ कुकुर कउआ, ई तीनों जात पोसउआ।
कायथ के इयारी, भादो मास उजारी।
कायथ के कुछ लिहले-दिहले, बर्हामन के भोजनौले, बाबू साहेब के सलाम बजइले, छोट जात लतिऔले।
कायथ के देखल पइसा आउ गोआर के देखल घाँस न बचे।
कायथ के बच्चा, कभी न सच्चा; जब सच्चा तब दगा-दगी।
कायथ के बच्चा, कभी न सच्चा; जो सच्चा तो हरामी के बच्चा।
कायथ के लाबा कोइरी खाय।
घर-घर नाचे तीन जन, कायथ बैद दलाल।
धान-पान पनिआए, बाभन खूब खिलाए, कायथ घूस दिलाए।
     राड़ जात लतिआए, तब सब सरिआए।
नगद कायथ भूत उधार कायथ देवता।
बज्जड़ परे कहाँ, तीन कायथ जहाँ।
मुरगी मिलान कहूँ कायथ पहलमान।
कुम्हार
उबरल माटी कुम्हार के घर दीया।
एक बड़ही दू लोहार, बाले-बच्चे कोइरी-कुम्हार।
कुम्हरा के जीव पानी-पानी।
गढ़े कुम्हार आउ भरे संसार।
ढील धोती बनियाँ उलटा मोछ सुबीर, बेंड़ा पार कुम्हार के तीनो के पहचान।
तेलिनियाँ साथे कुम्हैनियाँ सत्ती।
तेलिया ताल तो कुम्हरा बैताल।
पंडित पंडित तीन पंडित - पाँड़े पंडित, बाभन पंडित आ लात-जुत्ता के कुम्हार पंडित।
पंडिताइन से कहे कुम्हइन कि तोरा से हम का कम ही?
कुरमी

कुरमी कुत्ता हाथी, तीनो जात के खाथी।

कोइरी-कुरमी जन की? मड़ुआ मकय अन्न की।
जहाँ चार कुरमी, उहाँ बात घुरमी।
बुड़बक महतो तार तर साभा।
महतो के सुथनी महतो के जौ।
महतो घुसल पोवार (पुआर) तर, के कह बैरुन होय।
महतो जी के दलान।
महतो महतो तीन महतो - कुरमी महतो, कोइरी महतो आ लात-जुत्ता के गोबारा महतो।
कोइरी/ कोयरी
अब्बर कोइरी जब्बर मुराय, नञ् कबड़े त छुटे रोबाय।
एक बड़ही दू लोहार, बाले-बच्चे कोइरी-कुम्हार।
डमकोल करे खुरखुर कोइरी भागे फुरफुर।
करे कहार नाचे चमार, कोइरी देखे बाभन लेखे।
कोइरिन के बेटी राजा घर पड़े हे त बैंगन के टैंगन कहे हे।

कोइरियारी करऽ कब, रात-दिन ओकरे में लगल रहऽ तब।
कोइरी-कुरमी जन की? मड़ुआ मकय अन्न की।
कोइरी के देउता नियन बैठल।
कोइरी के पंजड़ा में सींघ होवऽ हे।
कोइरी के बुद्धि आउ ककोड़ा के जुज्जी कोय नञ् देखलक हे।
कोइरी के सो (सौ) घर।
कोइरी कोकड़ा बैल छोकड़ा।
कोइरी मरे सोझ ला, गदहा मरे बोझ ला।
कोइरी के बुध कियारिए में।
कोइरी के लाबा कायथ खाय।
जब तक कोइरी आरे बारे, तब तक जोलहा हर नारे।

डमकोल करे खुर-खुर, कोइरी भागे फुर-फुर।
तले कोइरिया सप्पर-सुप्पर तले जोलहबा चौंकी नाधे।
तुरुक ताड़ी बैल खेसाड़ी, बाभन आम कोयरी काम।
गँड़ेड़ी
गोबार गँड़ेड़ी पासी तीनो सत्यानासी।
चमार

अगहन रजपूत अहीर असाढ़, भादो भैंसा चैत चमार।
करिया बर्हामन गोर चमार, इनका पर न करे एतबार।
करे कहार नाचे चमार, कोइरी देखे बाभन लेखे।
का चमार नियन तरह गिरवले हें।
चंचल मन चमार के, दुविधा मन दुसाध के।
चंदन पड़े चमार घर, नित उठ कूटे चाम। चंदन बेचारा क्या करे कि पड़ा राड़ से काम।
चमइन से पेट छिपऽ हे?
चमार के घर चिरैं के झोर?
चमार के सरापला से कहूँ अधउर गिरऽ हे?
चैत के बरखा आउ चमार के मट्ठा बेकार।
चैत के मट्ठा चमार के बोल। 
चोदे चमार करे एतबार।
चोदे चमैनी करे एतबार।
डगरिन से कहीं पेट छिपऽ हे?
बेटी चमार के नाम रजरनियाँ।
मोची मोची लड़ाई होय, फटे राजा के जीन।
चूड़ीहारा
चूड़ीहारा के भोज।
जादव (अहीर/ गोबारा)

अगहन रजपूत अहीर असाढ़, भादो भैंसा चैत चमार।

अप्पन दही के गोआरिन खट्टा कहऽ हे?
अहिर-बहिर बन-बैर के लासा, अहिरा पादलक भेल तमासा।

अहीर नियन राते के सूझऽ हव?
अहिरा के दही महतवाँ के भेंट।
अहिरा साथे गँड़ेड़ियो मातल।
अहिरो हीं खाय गेली त बिना घीउ के?
अहीर के लाठी गहीर।
अहीर बुझावे/ समझावे से मरद।

अहीर मिताई तब करे, जब सब्भे जात मर जाय।
अहीर साठ बरस तक नबालिके रहऽ हे।
अहीर साठ बरस में बालिग हो हे।
कतनो गोबार पिंगिल पढ़े त एक बात ओहियार के बोले।
कतनो गोबार पिंगिल पढ़े तो एक बात जंगल के कहे।
कतनो अहीर पढ़े पुरान, तीन बात से हीन। उठना बैठना बोलना, लेलल विधाता छीन।।
कतनो अहीर होवे सयान, लोरिक छोड़ न आवे/ गावे गान।
कोई न मिले त अहीर से बतिया, कुछ न मिले त सत्तू खा।
खाला खेती अहीर मीत, भागे-जोगे होवे हीत।
गोबार गँड़ेड़ी पासी, तीनो सत्यानासी।
गोबार बुझावे से पंडित कहावे।
चार बात गावे हड़बोंग, अहीर डफाली धोबी डोम।
जो जलमे तरहँत्थी में बार, तइयो न करऽ अहीर के एतबार।
तार तर के पासी आ दुआर तर के अहीर के का कहना।
नउआ खइलके हे खीर, गोबार देखलके हे दाहा?
बड़ महतमाइन खुस भेलन त लिट्टी के गहिड़ा कइलन।
बाभन में छोट, अहीर में मोट।
भाई में छोट, अहीर में मोट।
भाट भुमिहार अहीर के जना, पोस न माने ई तीनों जना।
सब जात भगवान के, तीन जात बेपीर। दाव पड़े चूके नहीं- "बाभन बनियाँ अहीर"।
जोलहा (जुलाहा)
आठ जोलहा नौ हुक्का, ओकरो पर थुक्कम-थुक्का।
कहगर छोड़ तमासा जाय, नाहक चोर जोलाहा खाय।
खेत खाय गदहा, मार खाय जोलहा।
गगरी अनाज भेल, जोलहा के राज भेल।
जब तक कोइरी आरे बारे, तब तक जोलहा हर नारे।
जोलहा के आइ-पाइ, चमरा के बिहान, नउआ हीं जाई ला त चलऽ बाबू आई ला।
जोलहा के खेती बल्ले होती।
जोलहा के नौकर पैठान।
जोलहा जाने जौ काटे के हाल?
जोलहा लेखे घोंड़ा की? बानर लेखे छप्पर की?
जोलहा लेल छेर मरखाह।
तीसी के खेत में जोलहा भुतलाऽ हे।
तले कोइरिया सप्पर-सुप्पर, तले जोलहबा चौंकी नाधे।
नया जोलहा जादे पियाज खाहे।
लड़े जोलहा फूले पैठान।
ठठेरा

आधा तेरी आधा मेरी, ठठेरे ठठेरे बदलइया।

ठग ठठेरा बक सोनार, करम फूटे त बने लोहार।
ठग ठठेरा बक सोनार, पानी देके ठगे कलाल।
ठग ठठेरा सोनार, ओक्कर बाप लोहार।
ठठेरे ठठेरे बदलउअल।
डफाली
चार जात गावे हरबोंग, अहीर डफाली धोबी डोम।
डोम हारे अघोरी से।
डोम (भंगी)
चार जात गावे हरबोंग, अहीर डफाली धोबी डोम।
डोम हारे अघोरी से।
मेस्तर (मेहतर) डेराबे मैला से।
तेली
जतरा पर तेली मिले, महा असगुन होय। सौतेला घर में बसे, खैर कहाँ से होय।
ज्यों तेली के बैल को, घरहीं कोस पचास।
तेल जरे तेली के, गाँड़ फटे मसालची के।
तेलिनियाँ साथे कुम्हनियाँ सत्ती।
तेलिया ताल तो कुम्हरा बैताल।
तेलिया लगा तेरह बैल।
तेली के तेल जरे मसालची के गाँड़ फटे।
तेली के बैल कुम्हाइन सत्ती।
तेली के माथा में तेल?

तेली-भेली टेँट में अधेली।
तेली रोवथ तेल ला मसूदन रोवथ खल्ली ला।
बनला के साव जी, बिगड़ला के तेलिया।
सँड़लो तेली त गाँड़ तर अधेली।
साव साव तीन साव - सूढ़ी साव, तेली साव आ लात-जुत्ता के कानू साव।
दुसाध
चंचल मन चमार के, दुविधा मन दुसाध के।
धानुक
जलम भर हलूँ धनुकाइन, इहाँ आके भेलूँ पड़िआइन।
मुँह मुसहरनी गाँड़ धनुकाइन।
धुनिआ
जलम भर के हलूँ धुनिआइन, इहाँ आके होलूँ पड़िआइन।
धोबी
अनकर कपड़ा धोबिनियाँ रानी।
धोबिया से न पारे त गदहबा के कान मड़ोरे। 
धोबी के कुत्ता न घर के न घाट के।
धोबी के गदहा लादले जा।
धोबी के घर में आग लगल न हरख न बिखाद।
धोबी के छैला, आधा उजला आधा मैला।
धोबी के बाप के फूटे न फटे।
धोबी धो के का करे, दिगंबर के गाँव।
धोबी धोय पियासे मरे।
धोबी नाऊ दरजी, ई तीनो अलगरजी।
धोबी नाया नउआ पुराना।
चार जात गावे हरबोंग, अहीर डफाली धोबी डोम।
न धोबिया के दोसर गदहा, न गदहबा के दोसर मीरा।
नई धोबिनियाँ आई, लेंदरवे साबुन लगाई।
नइकी धोबिनियाँ त गेंदरा में साबुन।
नउआ/ नाऊ
अदमी में नउआ पंछी में कउआ।
एक्के नउनियाँ चौका पूरे, एक्के गावे गीत।
कटे जजमान के सीखे नउआ।
जोलहा लोहरा के आई-पाई, चमरा के बिहान आ नउआ हीं जाई ला त चलऽ बाबू आई ला।
दाढ़ी कटे जजमान के सीखे पूत हजाम।
धोबी नाऊ दरजी, ई तीनो अलगरजी।
नउआ कउआ बेंग पकउआ।
नउआ के घर चोरी भेल तीन चोंगा बार गेल।
नउआ के झोरी में कउआ बिआय, नउआ कहे हमर मइया बिआय।
नउआ के धिरउनी, खूर पजउनी।
नउआ के धिरकउनी, अस्तुरवे पर।
नउआ के नो बुद्धि, ठकुरवा के एक्के।
नउआ के बराती में ठाकुरे ठाकुर।
नउआ खइलके हे खीर, गोबार देखलके हे दाहा?
नउआ देखाले आँड़ बार।
नउआ देखले नोह बढ़ऽ हे।
नउआ नउआ माथा में केतना बार? त आगहीं आवऽ!
नउआ मरत त नगरिया के मूड़त हो राम।
नउआ सीखे पर के मूड़ी।
नउनियाँ साथे कुम्हैंनियाँ सत्ती।
नउसिख नउआ चमार के दाढ़ी।
नया नउआ बाँस के नहरनी।
नाऊ बिना नगर न मुड़ऽतई।
सबके पैर नउनियाँ धोबे, अप्पन धोबत लजाय।
नोनियाँ
सात भुईंहार न एक नोनिहार।
पासी
गोबार गँड़ेड़ी पासी, तीनो सत्यानासी।
तार तर के पासी आ दुआर पर के गोआर के का कहना।
पासी के तारे चढ़ला पर बुझाऽ हे।
बड़ही (बढ़ई)
एक बड़ही दू लोहार, बाले-बच्चे कोइरी कुम्हार।

ऐसन बड़ही गाँव कमैता, जिनका बसूला न रुखानी।
बड़ बड़ही छोट लोहार, खींच-खाँच के बढ़ावे चमार।
बनियाँ

आझ के बनियाँ, कल्ह के सेठ।

आम नींबू बनियाँ, बिन चँपले रस नहिं दे।
एक बनियाँ से कहूँ बजार बस्सऽ हे।
कल्ह के बनियाँ आज के सेठ।
कौड़ी-कौड़ी साव बटोरे, राम बटोरे कुप्पा।
जान मारे बनियाँ, पहचान मारे चोर।
ठग मारे अनजान, बनियाँ मारे जान।
ढील धोती बनियाँ उल्टा मोंछ सुबीर, बेंड़ा पार/ चाक कुम्हार के तीनों के पहचान।
दादा कहे से बनियाँ कहूँ गूँड़ देहे।
नामी बनियाँ कमा के खाय, नामी चोर मारल जाय।
नामी बनियाँ बइठल खाय, बदनामी चोर बाँधल जाय।
नामी बनियाँ के झाँट बिकाऽ हे।
नामी बनियाँ बदनामी चोर।
नेकनाम बनियाँ बदनाम चोर।
बड़ खुस बनियाँ त हर्रे दे।
बड़ खुस बनियाँ, दमड़ी दान।
बनियाँ कहे कि तौलवे न करम, गँहकी कहे कि नेउते तौलऽ!
बनियाँ के गुड़ आ दादा के फतेहा।
बनियाँ के जीव धनियाँ नियन।
बनियाँ के जुत्ता सिपहिया के जोय, धइले-धइले बूढ़ी होय।
बनियाँ  के पसँघे के आस।
बनियाँ नरम के, नारी सरम के आउ सासन गरम के।
बनियाँ मारे जान, ठग मारे अनजान।
बनियाँ मीत न बेसवा सत्ती, सोनरा साँच न एको रत्ती।
बनियाँ रिज्झे त हर्रे दे।
बनियाँ रीझे त हँस के दाँत देखावे।
लादे पादे आउ अउँघाय, सच कहे तो जीउ से जाय।
लिखे बनियाँ, पढ़े खुदा।
सबके ठगे बनियाँ, बनियाँ के ठगे सोनार, लासा-लूसी साट के ठगे जात भुमिहार।
सब जात भगवान के, तीन जात बेपीर। दाव पड़े चूके नहीं, बाभन बनियाँ अहीर।
बर्हामन ( पंडित /पंडी जी)
अनकर चुक्का अनकर घी, पाँड़े बाप के लग्गल की।
अपनो गेला पंडी जी आउ जजमानो के लेले गेलऽ।

आखिर संखबा बजल बाकि पाँड़े के पछाड़ के,पड़िआइन के रोवाऽ के।
आखिर संखवा बजल बाकि पाँड़े के पदाइये के।

एक सुअर के सोल्लह बच्चा, से लगे पाड़े के चच्चा।
ऐसन पूत पंडित भेला, ईंटा बान्ह कचहरी गेला।
ऐसन पूत पंडित भेला, सब जजमान सरंग (सरग) लेले गेलऽ।
ओम नोम सोहा (ॐ नमः स्वाहा!), पंडी जी बउड़ाहा।
कंजूस के धन कंटाहे खाहे।
कभी पाँड़े घी खिचड़ी, कभी उपासे।
करऽ पड़िआइन चौठ।
करिया बर्हामन गोर चमार, इनका पर न करे एतबार।
कान गाय बर्हामन दान।
काना पाँड़े गोड़ लागी, कल्लह के जड़ एही।
कार बर्हामन गोर सुद्दर, जेकरा देख के काँपे रुद्दर।
गरजू बर्हामन त सतुआ के जेउनार।
गरजू बाबा जी त माथा पर चुल्हा।
गाय बर्हामन के घुमले पेट भरऽ हे।
गाय बर्हामन घुमले से।
गोनू ओझा के गोंड़िए बताह।
चार पोर भित्तर, तब देव पित्तर।
चिन्हल बर्हामन के जनेउआ की?
चूड़ा दही बारह कोस, लुचुई अठारह कोस।
चैत में बाबा जी गाय बेच के नेहाली भरइलन हल।
चौबे गेलन छब्बे बने, दूबे बन के अयलन।
जजमाने के जौ, जजमाने के घीउ, बोलऽ बर्हामन सोहा (स्वाहा)!
जदपि कुआँ में जामे सीपी, होय न सच्चा साकलदीपी।
जीभ जूजी जरनी, ई हे सकलदीपी के करनी।
जे पाँड़े के पतरा में से पड़आइन के अँचरा में।
जौ लावे गेलन बाबा जी, बिसुआ गमा के अयलन।
झूठ गूँड़ खइवऽ पंडी जी, हाँ जजमानी! बीचे अङ्ना/ अंगना।
ढकनी कुम्हार के, घीउ जजमान के, बोलऽ बर्हामन स्वाहा।
तीन कनौजिया तेरह चुल्हा।
तीन बर्हामन कहाँ जाय, बज्जड़ पड़े ताहाँ जाय।
तुलसी के पत्ता छोट-बड़ बरोबर होवऽ है।
दोसरा के बाबा जी मत-बुध देलन, अपने खइलन गच्चा/ धक्का।
पंडित घर करकसवा नारी।
पंडी जी पंडोल डोल, पइसा माँगे गोल-गोल।
पंडित नया बैद पुराना।
पंडित पंडित तीन पंडित - पाँड़े पंडित, बाभन पंडित आ लात-जुत्ता के कुम्हार पंडित।
पंडिताइन से कहे कुम्हइन कि तोरा से हम कम ही?
पंडी जी गेलन दारू पीए त भठिए में लग गेल आग।
पंडी जी बैंगन बातर हे, अपना ला न, अनका ला।
पंडी जी के गाय नञ् हल, बलाय हल। 
पढ़ऽ पुत्र चंडिका, तब चढ़तो हंडिका।
पढ़ले पंडित न तो पड़ले पंडित।
पकला पूड़ी पर नमो नरायन।
परकल पाँड़े दही-चूड़ा/ कंदा रोटी। 
परिकल पाँड़े घीउ- खिचड़ी। 
पाँड़वो घर पँड़िऔंज। 
पाँड़े के गाय न हल, बाय हल।
पाँड़े घर के बिलैयो भगतीनी।
पाँड़े पड़ुकियन चुकियन तेल, पाँड़े के लइकन बड़ा गदेल।
बदरकट्टू घाम आ अछरकट्टू बर्हामन, दूनो तीख।
बर्हामन-बेटा लोटे-पोटे, मूर ब्याज दुनहुँ सरपोटे।
बर्हामन मुखे पाख।
बाघ चिन्हे बर्हामन के बच्चा।
बाप कनौजिया, बेटा अवतार/ चौतार।
पाप पखाना पिंडा आउ गया के पंडा।
बाबा जी के बैल हाँथेहाँथ गेल।
बाबा जी बाबा जी गोड़ लगियो, तोर छोटकी पुतहिया के ले भागियो।
बाबा जी रहलन धेयाने में, पोथिया/ मोटरिया ले गेल चोर।
बाबा जी ला उपजल धान, हमरा बाजी भेल फसाद।
बाभन कुत्ता भाट जात-जात के काट।
बारह बर्हामन बारह बात, बारह खत्री एक्के बात।
भाँट भुमिहार अहीर के जना, पोस न माने ई तीनों जना।
लमहर पंडित के लमहर ढेंका।
विप्र टहलुआ चीक धन आउ बेटी के बाढ़, एहू से धन ना घटे त करऽ बड़न से राड़।
सकलदीपी तीन तरह के - पढ़ल-लिखल पंडित, कम पढ़ल जोतसी-बैद आ अनपढ़ ओझा-गुनी।
सुक्खल गुह बर्हामन टिक्का।
सुक्खल डमारा पर बर्हामन लिट्टी लगावऽ हथ।
सौ विप्रा में एक गोत्रा।
हंसा रहे सो मरि गए, कउआ भए दिवान। जाहु विप्र घर आपने को काको जजमान।
हाँथ सुक्खल बर्हामन भुक्खल।
बाभन (भुमिहार)

अगहन बाभन तम्मर-तुम्मर, जेठ बाभन लस्सा।
अघाएल राड़ आ भुखाएल बाभन मुड़ी झाँटे।
अघाएल राड़ आ भुखाएल बाभन से बोले के न चाही।
उदसल बाभन आउ गदगरल राड़ से अलग रहे के चाही।

ई हे गरीब बाभन के बस्ती, खान-पान तो हइये न नमस्कार के सस्ती।
कतनो बाभन सोझा त हँसुआ नियन टेढ़।
करिया बाभन गोर चमार, इनका पर न करऽ एतबार।
करिया बाभन गोर चमार, इनका से रहिहऽ होंसियार।
करिया बाभन गोर सुद्दर, जेकरा देख के काँपे रुद्दर।
खखदल बभना, लिट्टी लगावे अङ्ना।
चार बाभन एक संतोस, गदहा खाय में कुछ न दोस।
जहाँ चार बाभन, हुआँ बातचाभन। जहाँ चार रजपूत, हुआँ बात मजबूत। जहाँ चार कुरमी हुआँ बात घुरमी।
जे करे बाभन के भल से पड़े देवी के बल।
तीन बाभन एक नेहाली, फेरा-फेरी आवा-जाही।
तीन बाभन एक नेहाली, ओढ़े हाला-हाली।
तुरुक ताड़ी बैल खेसाड़ी, बाभन आम कोयरी काम।
धान-पान पनिआए, बाभन खूब खिलाए, कायथ घूस दिलाए। नान्ह जात लतिआए, तब सब सरिआए।।
नरमा के बाभन, सरमा के कुत्ता। घोसी के राड़, मसौढ़ी के जुत्ता।
पंडित पंडित तीन पंडित, पाँड़े पंडित, बाभन पंडित आ लात-जुत्ता के कुम्हार पंडित।
पत्ता खड़कल बाभन हड़कल।
बड़ा धन खइलें रे बघरा, अब पड़लउ बाभन से रगड़ा।
बाभन आउ बेंग के पंचैती?
बाभन कायथ सकलदीपी संत न आउ जदि हो गेल तो ओकर जोड़ न।
बाभन कुत्ता नाई, जात देख गुर्राई/ घिनाई।
बाभन कुत्ता भाट, जात-जात के काट।
बाभन कुत्ता हाँथी, अप्पन जात के घाती।
बाभन केतनो गरीब होयत, मुदा सूअर न चरायत।
बाभन के पंचैती न, बेंग के सरदी न।
बाभन के बच्चा कभी न सच्चा, जब सच्चा तब दगा-दगी।
बाभन के बामन हाँथ के अँतड़ी होवऽ हे।
बाभन के लर आउ करमी के जड़ के न पता चले।
बाभन गेल घर त जन्ने-तन्ने हर।
बाभन गेलन घर त मारऽ हर भर।
बाभन जात अन्हरिया रात, खूँटा में चोट लगल बाप रे बाप।
बाभन जात केकरो न, जे जलमावे सेकरो न।
बाभन नाचे कोइरी/ डिंगर देखे।
बाभन नियन गिदड़भभकी/ सियरभभकी।
बाभन पूत कभी न मीत, जब मीत तब दगे-दगे।
बाभन बेटी देके ओल लेहे।
बाभन भैंसा आउ कहार, जत-जत बूढ़ा तत-तत ड़ाड़।
बाभन भइया जान लेबइया, नो सूअर के रोज खबइया।
बाभन भइया जान लेबइया, सेर भर खेसाड़ी के तीन रुपइया।
बाभन भइया जान लेबइया, सेर भर सत्तू के तीस रुपइया।
बाभन में छोट अहीर में मोट।
बारह बैले बाभन कोढ़ी।
बिन लस्सा के बझाऊँ, बिना पर के उड़ाऊँ, तब बाभन कहाऊँ।
बूड़ल बभनई त भूसा घर सुतनई।
बेंग के सरदी न बाभन के पंचैती न।
भइअन छओ भकार से, सदा रहऽ होंसियार। भाई भतीजा भागीना, भाट भाँड़ भुमिहार।
भल न करे भुईंहार के आ पोंछ न धरे सियार के।
भाट भुमिहार अहीर के जना, पोस न माने ई तीनों जना।
रहे बजावत दुंदुभी, दसकंधर के द्वार। कलजुग में वो ही भए, जात बंस भुमिहार।
लंका में रावन, बिहार में बाभन।
सँड़लो बाभन तो ऐंचा-ताना, पड़लो मारे तीन जना।
सबके ठगे बनियाँ, बनियाँ के ठगे सोनार। लासा लूसी साट के ठगे जात भुमिहार।।
सब जात तो ऐसा-तैसा, बिना जाल के बाभन कैसा!
सब जात भगवान के, तीन जात बेपीर। दाव पड़े चूके नहीं, बाभन बनियाँ अहीर।
सात चमार न एक भुमिहार।
सात भुमिहार न एक नोनिहार।

बेलदार
बेलदार के बेटा-बेटी ढेले में पोसाऽ हथ।
बेलदार के बेटी ढेले में।
बेलदार के सतुआ दरारे में।
बेलदारनी के बेटी नञ् नहिरे सुख नञ् ससुरे सुख।
मलाह (मल्लाह)
मलाह से सलाह नञ्।
मलाह के हाल अल्लाह जाने।
मल्लिक माहुरी आउ मलाह, ई तीनो से नञ् करे सलाह।
माहुरी
मल्लिक माहुरी आउ मलाह, ई तीनो से नञ् करे सलाह।
मुसहर (भुइयाँ)
एक लबनी धान में मुसहरा नितरइले हल।
ढकनी भर चाउर में भुइयाँ बउरा हे।
मुसहर बड़ा भड़कोल जात।
मुसहर भगत न जजपूत के धनुही, टूटे तो टूटे नेबे न कबहीं।
बिंद के हाल गोबिंदो नञ् जानथ।
लबनी भर धान में मुसहर नितराय।
रजपूत (राजपूत)

अगहन रजपूत अहीर असाढ़, भादो भैंसा चैत चमार।

एक ठैंयाँ के ठाकुर, आन ठैंया के कुकुर।
करिया बाभन गोर चमार, भूरा छतरी महा हतियार।
गोहुमन छतरी सुक्कन बैल, पीछे भागे दोगला भेल।
जहाँ चार रजपूत, हुआँ बात मजबूत।
जहाँ रजपूत, हुआँ बात मजगूत। जहाँ चार कुरमी, हुआँ बात घुरमी।
मुसहर भगत न जजपूत के धनुही, टूटे तो टूटे नेबे न कबहीं।
रजपूत के लहर साबा पहर।
रज रजपुतनी पीतर के नथुनी, सोलह भतार करे तो रजपुतनी।
सूते रजपूत, उठे अजगूत।
लोहार


कुछ दोस लोहा के, कुछ दोस लोहार के।
दागे के साँढ़ के, दाग देलन लोहार के।
सोनार
ठग ठठेरा बक सोनार, करम फूटे त बने लोहार।
ठग ठठेरा बक सोनार, पानी देके ठगे कलाल।
ठग ठठेरा सोनार, ओक्कर बाप लोहार।
ठठेरे ठठेरे बदलउअल।

मुसलमान
अपने मियाँ दर-दरबार, अपने मियाँ चुल्हे दुआर।
अप्पन मामू मर गेलन, जोलहा-धुनियाँ मामू भेलन।
आग में मूत या मुसलमान हो।
आधा मियाँ सेख सर्फुद्दीन, आधा सारा गाँव।
आप मियाँ बोलले कि विधवा पदावले।
आप मियाँ मँगनी द्वारे दरबेस।
आरसी न फारसी, मियाँ जी बनारसी।
उखड़े बार नञ्, नाम बरिआर खाँ।
एक तो मियाँ जी गोंगा, दुसरे मुँह में रोटी।
एक बर गाजी मियाँ, दू बर डफाली।
एक हाँथ के गाजी मियाँ, नौ हाँथ के डफाली।
एक्के मियाँ खर-खरिहान, एक्के मियाँ दर-दोकान।
एन्ने तीस ओन्ने बीस, कम्मू मियाँ दुन्नो दीस।
करगह पर मियाँ तुम-तुम।
कसूर करे गाजी मियाँ, मार खाय डफाली।
काजी जी के कुत्ता मरल त सब कोय पोरसिसिया करे गेल आ काजी जी मरलन त कोय न।
काजी जी दूबर काहे त सहर के अंदेसा से।
कुछ गेलो उड़न-पड़न, कुछ गेलो पम्ह, कुछ गेलो ताँत लपेटा, कुछ लेलिओ हम।
    लेखा लेला त धुनौनी दऽ।
चलल मियाँ जुम्मन के, ओरी तर खरिहान।
जतना बड़ के गाजी मियाँ, ओतना बड़ के मोंछ।
जे न होय मक्का, से खाय धक्का।
जोरू न जाँता, अल्ला मियाँ से नाता।
उखड़े/ कबड़े बार न, नाम बरियार खाँ।
झाँट कबड़े न, नाम बरियार खाँ।
टुक मियाँ दम का, केत्ता सिर में बाल हे।
डाँड़ में लंगोटी न नाम फत्ते खाँ।
तनी गो के गाजी मियाँ, बड़ी गो के मोंछ।
तीन पेंड़ बकायन, मियाँ चललन बाग देखे।
तीर न कमान, मियाँ कउची के पहलमान।
तुरुक तेली आउ ताड़, ई तीनो सोभे बिहार।
तुरुक तोंता आउ खरगोस, ई तीनों न माने पोस।
दरजी के पूता जब तक जीता तबतक सीता।
नन्हीं गो के गाजी मियाँ, बड़ी गो के पोंछ।
नया मुसलमान दस बेर नमाज पढ़ऽ हे।
नरिये-नरिये मियाँ चोरवलन, खोदा चोरवलन पोला।
नाम सेर खाँ, मूते चुल्हानी।
पूर पड़े मियाँ जुम्मन के ओरी तर/ गबड़े में खरिहान।
बड़े मियाँ बड़े नाम, डोले दाढ़ी हिल्ले गाम।
बड़े मियाँ बड़ बात।
बड़े मियाँ बड़े मियाँ, छोटे मियाँ सुभान अल्ला!


( मगही-हिंदी-अंगरेजी कहावत कोश - संपादकः धनंजय श्रोत्रिय. से उद्धृत)